ऐसा कोई है -
जिससे सभी प्यार करते हों?
जिससे कोई नफरत नही करता हो?
जिसकी कोई निंदा न करता हो?
ऐसा कोई नही है।
फिर क्यों परेशान होते हो, क्यों दुखी होते हो।
सबने मुखौटा पहन रखा है।
तुमने भी और तुम्हारे सामने खड़े दूसरे ने भी।
भूल जाओ की ऐसा कुछ है और सच में ऐसा कुछ है भी नही।
तुम्हारे आस- पास के लोग तुमसे लाख गुना अच्छे हैं।
उन्हें बोलना- बतियाना आता है।
सब कहने-सुनने की बातें हैं।
ठीक कहते हो।
हुंह।
No comments:
Post a Comment