क्या करूँ???
पिछले दो दिनों से दिमाग ठप्प पड़ा है। बार बार नए संकल्प लेकर बैठता हूँ पर विचारों को क्रमबद्ध करने में असमर्थ ही रहता हूँ। चुनी हुई कहानियों के विषय में कोई आलोचनात्मक साहित्य नही मिल रहा। आज का दिन भी ख़त्म होने को है और बात बनती नज़र नही आती। कभी - कभी ऐसी dead-lock की स्थिति बन जाती है। अब देखें कब तक इस से उबार पता हूँ।
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