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Tuesday, April 6, 2010

पेन्सिल

आज सुबह 
स्कुल ड्रेस पहने
वो छोटी सी बच्ची
उसकी मां ही रही होगी
बाँह पकड़ खींचे लिेए 
जा रही थी
झिड़कियां दे रही थी
डांट-फटकार रही थी
उसकी आँखे 
गीली हो चली थी
चेहरा पीला सा था
दांतों को भींचे
होंठ सिले हुए
बस्ता टांगे
बांह छुड़ाने की 
कोशिश करती
वो घीसटती सी 
चली जा रही थी
मैने सोचा
ऐसा क्या कर दिया 
इस नन्ही सी जान ने
कि तभी मां चिल्लाई
ऐसे रोज-रोज पेन्सिल 
गुम करेगी 
तो मैं तेरा.....
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