जिनके पास सत्ता है
वो-
सब चोर हैं
बदमाश हैं
धोखेबाज हैं
भ्रष्टाचार में लिप्त हैं
जिनके पास नहीं है
वो -
सब साधु हैं
नेक हैं
इमानदार हैं
सदाचार ही उनका जीवन है
यही इस सत्ता की लड़ाई
का नियम है
कि
वो कब वो
बन जाते हैं
इसका पता खुद उनको
भी नहीं चलता
दुख इस बात का है
कि हर बार
इस दौरान
कुछ चंद हजार-लाख
इंसानी जिंदगियाँ
मिट्टी की ढेरी में
बदल जाती हैं
और मजा इस बात में
कि ये बदलाव
शायद ही कभी स्थायी
हो पायेगा।
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