Kunwar Kant
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Wednesday, March 18, 2009
ढ़ाक के वही तीन पात.....
जैसा
हमने
सोचा
था
वैसा
कुछ
भी
नही
हुआ।
रुसी
साहित्य
से
सम्बंधित
किसी
तरह
की
शुरुआत
हम
अपने
स्तर
पर
नही
कर
सके।
पहले
की
ही
तरह
बात
आई
-
गई
हो
गई।
सब
अपने
-
अपने
कामों
में
व्यस्त
हैं।
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