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Wednesday, March 25, 2015

जिनाइदा गीप्पिउस की कविता "Счастье"


Gippius 1910s.jpg
Zinaida Nikolaevna Gippius
November 20, 1869 - September 9, 1945


सौभाग्य
है सौभाग्य ये हमारा, विश्वास किजिए,
और सब इसे जानते हैं।
सौभाग्य, कि हम मृत्यु को
फौरन भूल जाने की कला जानते हैं।
न बुद्धि से, न झूठी-बहादुरी से।
(अगर जानते हो, - भजते रहो)
पर मन से, खून से, तन से
नही याद करते हम उसे।
ओह, सौभाग्य जो है क्षणभंगुर, क्षीण:
वो शब्द है, जैसे पंक्तियों के बीच;
आँखें बीमार ब्च्चे की;
गला हुआ फूल पानी में, -
और कोई फुसफुसाता है: बहुत हुआ!”
और पुन: जहरीला हो गया खून,
और कुढ़ता है शिथिल पड़े हृदय में
छला हुआ प्रेम।
नहीं, अच्छा हो हममें से कोई इस संसार में
कोई भी न रहे।
रहें तो केवल जानवर, और बच्चे,
जो अनभिज्ञ हैं इन सब से।

मूल - जिनाइदा गिपिउस
अनवाद - कुँवर कान्त

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