बस सात दिन बचे हैं
जब तक पहुंचुँगा बचेंगे पाँच
पापा-अम्मा कहते हैं,
नेवता करनें आ रहे हो क्या?
अब मैं क्या कहुँ
रुपये-जो कमा रहा हुँ
अपनों से दूर रहकर
उन रुपयों की कीमत
चुका रहा हुँ।
27 नवम्बर को बहन कंचन की शादी है सो कल सुबह गाँव जा रहा हुँ। इश्वर से यही प्रार्थना है कि सब ठीक से निपट जाए और बहन अपनें नए घर में सबका मन जीत एक सफल एवं सुखी दाम्पत्य जीवन जीए।
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