किससे कहूँ
इन दो आँखों के बीच का दर्द
रिसता है
इससे खून गलीज सूर्ख
एक पाप है सदियों पुराना
जिसको छिपाये फिरता हूँ
एक श्राप है युगों पुराना
जिसे भोगता फिरता हूँ
एक घाव है वर्षों पुराना
जिसे ढोए फिरता हूँ
इन दो आँखों के बीच का दर्द
रिसता है
इससे खून गलीज सूर्ख
एक पाप है सदियों पुराना
जिसको छिपाये फिरता हूँ
एक श्राप है युगों पुराना
जिसे भोगता फिरता हूँ
एक घाव है वर्षों पुराना
जिसे ढोए फिरता हूँ