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Sunday, April 5, 2015

दूध वाला


वो मेरे सामने चला आ रहा था
हाथ में पकड़ी कापी में
सिर नीचे गड़ाए
कंधे से तिरछा
बैग लटकाए।
बड़ा पढ़ाकु लगता है...
हम एक-दूसरे के बगल से गुजरे
अचानक लगा
जैसे पहचान का लगता है
मै पीछे मुड़ा
वह भी मुड़ा
अरे  ये तो अपना
दरवाजो पर घंटियाँ बजाता हुआ
हैडलों मे टंगी थैलियों,
पॉलिथिनों में
नीली, लाल, हरी
टोन्ड, डबल टोन्ड
फुल क्रीम पैकेटें डालता हुआ
बिल्डिंग की सिढ़ियों पर
उछलता भागता हुआ
बब्लु है
दुध वाला

-कुँवर कान्त


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