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Monday, April 11, 2011

तेरे साये में...

हैदराबाद में आने के बाद गुरु घर की सेवा करने के खूब अवसर मिले जो दिल्ली में काफी पास होते हुए भी संभव न हो सका। यहाँ आने के बाद ही सेवा और साधना ठीक से हो सकी और तभी गुरु के उस महान ज्ञान को थोड़ा बहुत समझ सका हूँ। अब तो बस यही प्रार्थना करता हूँ किः
तुम ऐसे ही सेवा के अवसर
उपलब्ध कराते रहना प्रभु
कि मैं तेरे समीप
रौशनी में रहना चाहता हूँ
कि मैं फिर पलटकर
उन अंधेरी गलियों में 
जाना नहीं चाहता
फिर-फिर जब
ये मुझको खुद में समेटने लगे
जब खुद को भूल
मैं इनकी ओर बढ़ने लगुँ
  इक खबर बस भिजवा देना
जरा याद दिला देना

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