Kunwar Kant
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Saturday, October 24, 2009
कसक
भरी है इतनी कालीख,
लिख कलम कोई लेख
भरा है इतना कचरा
बहा दे कतरा कतरा
देख फैली है कैसी दुर्गंध
अरे अब तो रच कोई छंद
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