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Tuesday, October 20, 2009

दिवाली के पटाखे...

फोड़-फोड़ कर 
बन-बन, हाइड्रो, रौकेट, अनार
क्या बच्चे, क्या जवान
क्या गंवार और क्या होंशियार
सारे खड़ें हैं एक कतार
सारा गुस्सा सारी भड़ास
धुम-धड़ाम, भुस-भास
यह फूटा वह फूटा
इतना गुस्सा, इतनी भड़ास
लगा रखी थी कितनी आस
सब बेकार
ऐसा आया ये त्यौहार

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