Kunwar Kant
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Friday, October 16, 2009
टूट गया....
एक तार सा था बारीक, महीन
टूट गया।
एक दर्पण सा था निडर, सच्चा
टूट गया।
एक विश्वास सा था अडिग, अचल
वो भी टुट गया
।
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