चाचा जी की मनपसंद कहानी थी: "एगो राजा रहलें। उ ढेंकुल गड़वलें। ओपर कौवा बइठल।डगो-मगो केकरा मुंह में....."और हम सब चिल्लाते: हिनका मुह में, हूनका मूंह में। दूसरी कहानी जो वो जरुर सुनाते वो थी: "........राजा के लाल-गाल देख लेहनीं.." वाली।
अम्मा को हम हमेशा रात को सोने के पहले परेशान करते। उनकी एक ही आदत है, बिछौने पर गिरते ही सो जाती हैं।दिन भर का काम ही इतना होता है। हम फिर भी परेशान करते। परेशान हो कर वो हमेशा कहतीं "कह/मतकह" वाली कहानी सुनाती....हम फिर भी न मानते और "सात भैंसी के सात चभोका सोर सेर घीउ खाउं रे" वाली कहानी सुन कर ही दम लेते।
इनके अलावा बचपन में कोई कहानी नहीं सुनीं।
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