Kunwar Kant
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Monday, May 4, 2009
एक तुम हो और एक हम......
वो
कहते
हैं
-
तुम
सिर्फ़
उसी
कि
मदद
करते
हो
जो
सिर्फ़
तुम
पर
और
तुम
पर
ही
आश्रित
है
।
हम
वो
हैं
-
जो
जाने
किस
-
किस
का
असरा
लगाये
बैठे
हैं
।
वो
कहते
हैं
-
इसी
वज़ह
तुम
शायद
नजदीक
नही
आते
।
हम
वो
हैं
-
जो
पास
जाने
से
ही
तौबा
किए
बैठे
हैं
।
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