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Saturday, May 9, 2009
Wednesday, May 6, 2009
सब कह दिया ....
अब समझा
तुमने चिठी क्यों नही लिक्खी।
तुम व्यस्त थे।
ये हमने पूछा था।
हाँ - व्यस्त।
हम दोनों बहुत खुश थे।
तो क्या हुआ जो तुमने आने कि ख़बर....
नही दी।
तुम आ गए?
हम दोनों खुश हैं ?
..
....
और कुछ ?
नही..सब कह दिया।
तुमने चिठी क्यों नही लिक्खी।
तुम व्यस्त थे।
ये हमने पूछा था।
हाँ - व्यस्त।
हम दोनों बहुत खुश थे।
तो क्या हुआ जो तुमने आने कि ख़बर....
नही दी।
तुम आ गए?
हम दोनों खुश हैं ?
..
....
और कुछ ?
नही..सब कह दिया।
Tuesday, May 5, 2009
दूसरा कोई रास्ता ना था ??
बोलो,
किसने निकाले?
मैंने नही निकाले।
मिला तो तुम्हारे बस्ते में।
पूरे स्कूल में तख्ती डाल कर घुमाया।
फिर घर से अम्मा-बाबूजी को बुलवाया।
नाम काट देंगे, कहीं नहीं पढने देंगे।
सब चिढायेंगे।
मुझे नही पता उसने निकाले थे कि नही।
पर इल्जाम उसपर लगा।
अम्मा-बाबूजी और वो सब साथ निकले।
वो पहले पहुँची, थोड़ा तेज चली, दौड़ने जैसा।
रोका क्यों नही?
फिर रुक गई, एकदम से रुकी, रुक कर झूल गई।
पंखे से झूल गई।
उनके पहुँचने से पहले,
वो जा चुकी थी।
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किसने निकाले?
मैंने नही निकाले।
मिला तो तुम्हारे बस्ते में।
पूरे स्कूल में तख्ती डाल कर घुमाया।
फिर घर से अम्मा-बाबूजी को बुलवाया।
नाम काट देंगे, कहीं नहीं पढने देंगे।
सब चिढायेंगे।
मुझे नही पता उसने निकाले थे कि नही।
पर इल्जाम उसपर लगा।
अम्मा-बाबूजी और वो सब साथ निकले।
वो पहले पहुँची, थोड़ा तेज चली, दौड़ने जैसा।
रोका क्यों नही?
फिर रुक गई, एकदम से रुकी, रुक कर झूल गई।
पंखे से झूल गई।
उनके पहुँचने से पहले,
वो जा चुकी थी।
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Monday, May 4, 2009
एक तुम हो और एक हम......
वो कहते हैं -
तुम सिर्फ़ उसी कि मदद करते हो जो सिर्फ़ तुम पर और तुम पर ही आश्रित है।
हम वो हैं -
जो जाने किस-किस का असरा लगाये बैठे हैं।
वो कहते हैं -
इसी वज़ह तुम शायद नजदीक नही आते।
हम वो हैं -
जो पास जाने से ही तौबा किए बैठे हैं।
तुम सिर्फ़ उसी कि मदद करते हो जो सिर्फ़ तुम पर और तुम पर ही आश्रित है।
हम वो हैं -
जो जाने किस-किस का असरा लगाये बैठे हैं।
वो कहते हैं -
इसी वज़ह तुम शायद नजदीक नही आते।
हम वो हैं -
जो पास जाने से ही तौबा किए बैठे हैं।
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