Translate this web page in your own language

Tuesday, June 23, 2009

वो और हम

वो ज़मीन पर गिरे मदद को चिल्ला रहे थे,
हम अपनी-अपनी चमड़ी बचा रहे थे,
किसी के साथ कभी-भी कुछ-भी हो सकता है,
हमने कहा और भूल गए,
वो रहे या ना रहे,
इसका हमारे होने या ना होने से क्या वास्ता,
हम अनंत तक सड़ते-गंधाते रहेंगे,
पर इसका क्या करें कि,
हर पल हम वो और वो,
हम होते जा रहे हैं.

No comments:

Post a Comment