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Monday, November 1, 2010

कुदक्कड़ मन

हिलता मचलता
फुदकता उछलता
कभी इस डाल
तो कभी उस डाल
बेचैन सा वो जाने
क्या ढुँढता
कभी रस - कभी गंध 
तो कभी
वो सुखद स्पर्श
वो सुरीली आवाज़
बस एक नज़र देखने
को तड़पता
मेरा कुदक्कड़ मन

3 comments:

  1. Good Work Sir ji

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Thanks Sushant, aise hi kuch likh diya karo...aur likhne ko sambal milta hai...

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